NAVRATRA and SAPTSHATI KATHA
नवरात्र और सप्शती-कथा
NAVRATRA and SAPTSHATI KATHA
Taken from the Book Lekh aur updesh –
( with English Translation.)
‘नवरात्र’ में दो शब्द हैं : नव और रात्र । नव शब्द संख्या का वाहक हैं और रात्र का अर्थ है रात्रि-समूह, कालविशेष । इस नवरात्र शब्द में संख्या और काल का अद्भुत मिश्रण है। नवरात्र दो होते हैं, शारदीय और वासन्तिक।
अब आप पूछ सकते हैं कि पराम्बा दुर्गा के, शक्ति के पूजन के लिए नवरात्र ही क्यों निश्चित किये गये, इससे अधिक या न्यून भी तो हो सकते थे ?
NAVRATRA is made up of two words. NAV and RATRA
NAV denotes a number RATRA denotes the time of the day or darkness.
This word is a unique combination of numbers( SANKHYA) and time ( KAAL).
There are two Navratras celebrated in a year–
SHARAD RITU & VASANT RITU
WE may ask why are NAVRATRAS chosen as days to pray to Par Amba Durga and why only these two months ? Why only nine days –why not less or more?
माता दुर्गा के नौ रूप होना। आप उनके ये नाम जानते ही होंगे :
1. शैलपुत्री, 2. ब्रह्मचारिणी, 3.चन्द्रघण्टा, 4. कुष्माण्डा , 5. स्कन्दमाता, ़ 6. कात्यायनी , 7. कालरात्री , 8. महागोरी ओेर 9. िसद्धिदात्री
Maata Durga has nine forms and they are—
1.SHAIL PUTRI 2.BRAHMACHARINI 3.CHANDRA GHANTA
4.KUSHMANDA 5.SKANDMAATA 6.KATAYAANI
7.KAALRATRI 8.MAHA GAURI 9.SIDDHIDHATRI
इस के अतिरिक्त शक्ति के गुण तीन हैं : सत्त्व, रज और तम । इन्हीं को त्रिवृत करने पर नौ हो जाता हैं। जैसे यज्ञोपवीत में तीन लड़ें हैं और उन तीनों में प्रत्येक तीन-तीन, वैसे ही प्रकृति का, योगमाया का त्रिवृत गुणात्मक रूप अर्थात् नवविध है। शक्ति दुर्गा की उपासना में उसके समग्र रूप का आराधन हो सके, इस अभिप्राय से भी नवरात्र के नौ दिन रखे गये हैं।
Besides these 9 forms Shakti has three GUNAS or qualities.
SATTVA RAJAS TAMAS
When multiplied by these three gunas we arrive at the number 9.
For instance in the Yagnopaveet or the Sacred thread there are 3 strands.and when each of these three is multiplied with the three Gunas we again arrive at the number 9.
Another reason for celebrating it for 9 days is because we then have enough time to adore all the forms of Shakti,
यह भी कहा जा सकता है कि नवरात्र दो होते हैं, वासन्तिक और शारदीय।
ऋतुएँ छह हैं : वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर।
भगवती के तीन रूप हैं : महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती।
There are two Navratras celebrated in a year and we have 6 seasons in a year.
VASANT (Spring) -GREESHM (Summer) -VARSHA (Monsoon)-
SHARAD (Autumn)- HEMANT (Pre-winter) – SHISHIR (Winter)
Devi Bhagwati has three forms
MAHA KAALI – MAHA LAKSHMI – MAHA SARASWATI
तो, छहों ऋतुओं में भगवती के सभी रूपों की उपासना होनी चाहिए। छह को तीन से गुणित करने पर 18 दिन उपासना के बन जाते हैं। इनमें से 3 वासन्तिक उपासना के लिए और 3 शारदीय उपासना के लिए बाँटने के लिए ही दोनों नवरात्रों के 9-9 दिन रखे गए हैं।
इस प्रकार आप गवेषणा करते जायँ तो दुर्गापूजा के नौ दिन नियत करने की और भी उपपत्ियाँ मिल सकती
हैं। देवी की उपासना में नव संख्या का विशेष महत्व है। उसका जपमन्त्र भी नौ ही अक्षरों का है जो अभी बताया गया है।
यह पंक्तियाँ सद््गुरु स्वामी गंगेश्वरानन्द जी महाराज द्वारा लिखित लेख तथा उपदेश से ली गई हैं।
Therefore in all the six seasons we should pray to all the forms of Maata.
When we multiply 6 by 3 we arrive at 18.
These 18 days can be the number of days to do Devi Upaasana.
It must be to keep the three Devis in view that during each of the Navrtras three days are devoted to each Maata namely Kaali, Laxmi and Saraswati.
If we continue to calculate in the same manner we can find several more reasons for celebrating 9 days for Navratras.
In the UPAASNA for DEVI the number 9 is very significant. The Jap mantra of Devi is also of 9 alphabets.