Importance of ShivRatri & Secret of ShivLingam Puja
Importance of ShivRatri & Secret of ShivLingam Puja
Excerpt taken from the book-Shroutmuni Charitramrit
by Swami Gangeshwaranandji Maharaj
श्रौतमुनिचरितामृत – स्वामी श्री गंगेश्वरानन्द जी महाराज
भगवान् शंकर
भगवान् शंकर चाँदी के पर्वत के समान गौर हैं। मस्तक में शशिकला शोभायामान है। हस्ती के शुण्ड के समान चार भुजाएँ हैं। उनमें परशु, मृग, वर और अभय को धारण किये हुए है।
कटि में व्याघ्रचर्म धारण किये हैं। उन मुक्ति के दाता भक्तहितकारी शिवजी के तीन नेत्र और पाँच मुख हैं। भगवान् शिवजी का यह स्वरूप सृष्टि, स्थिति और प्रलयभाव का सूचक और
जीव का अात्यन्तिक प्रलय अर्थात् मुक्ति का भी घोतक हैं। ईतना ही नहीं, भगवान् शिवजी के इसी मड्गंलमय स्वरूप से तमोमय संहारभाव को धारण करने सेरूद्रमूर्ति भी प्रकट होती हैं।
English Translation of above:
Bhagwan Shankar’s colour is white like the mountain covered with ice. ( It appears to look as a silver mountain).
इससे स्पष्ट प्रकट है कि भगवान् शंकर में एक शान्तिमय शिवभाव और दूसरा प्रलयकारी रुद्रभाव विराजमान है। भगवान् शंकर की कृपा से उन्हीं के शरीर पर ही समस्त प्रकृति का विलास प्रकाशित होता है,
इसलिये उनका शरीर गौर है, वे पंचमुख तथा त्रिनेत्र हैं। जैसे सुर्य से सब रंड्गो का विकास होता है तो सुर्यभगवान् श्वेत है। शंकर जी के भी गौर होने का कारण यह भी है कि जिस केन्द्र पर समस्त प्राकृतिक
वर्णो का विकास होता है वहाँ श्वेत ही वर्ण होता है।
This also denotes liberation of the Jeeva.
भगवान् शिव एक हाथ में काम का सूचक मृग धारण किये हुए हैं, दूसरे में धर्म का सूचक वर, तीसरे में अर्थ का सूचक परशु और चौथे हाथ में मोक्षसूचक अभय धारण किये हुए हैं। इस प्रकार शिवजी के
इस रूप से उनका ईश्वरभाव प्रकट किया गया हैं।
शिवलिड्गंपूजा का रहस्य
लिड्ग के मूल में ब्रह्माजी, मध्य में त्रिलोकीनाथ विष्णूजी और उपरीभाग में प्रणव नाम वाले भगवान् शंकरजी स्थित हैं। लिंड्गवेदी अर्थात् जलहरी अर्घा महादेवी हैं।
लिंड्ग साक्षात् महेश्वर हैं। लिंड्गवेदी और लिंड्गपूजन से सर्वदेव और सर्वदेवीयों का पूजन हो जाता हैं। श्री वाल्मीकीयरामायण के समान प्राचीन ग्रन्थों में भी लिंड्गपूजा का विधान मिलता हैं।
~ स्वामी श्री गंगेश्वरानन्द जी महाराज द्वारा रचयता ग्रंथ ‘श्रौतमुनिचरितामृत’ से
English Translation of above: